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केदारनाथ सविता
कल से प्राइवेट अस्पताल के आई सी यू वार्ड का तीन बेड खाली चल रहा था । मालिक ने मैनेजर को अपने केबिन में बुलाकर कहा- “आई सी यू का तीन बेड कल से क्यों खाली चल रहा है ? यह खाली नहीं रहना चाहिए । हमारी आमदनी का सबसे बढ़िया जरिया है यह । जब वही खाली रहेगा तब अस्पताल की तरक्की कैसे होगी ?तुम्हारा वेतन कैसे बढ़ेगा ?”
“सर,कोई नया सीरियस मरीज नहीं आया, इसलिये खाली है ।” मैनेजर ने सामने की कुर्सी पर बैठते हुए कहा ।
“नया नहीं आया तो किसी पुराने मरीज को उसमें शिफ्ट करो । देख लो, जिस मरीज के परिजन व मिलने-जुलने वाले लोग वेश- भूषा में ठीक-ठाक लगें,धनी हों, उन्हें कुछ समझा कर ,मन में भय पैदा करके शिफ्ट कराओ । उन्हें मरीज के जान की परवाह होगी तो तुरन्त काउंटर पर रुपया जमा करेंगे । तुम इतने दिनों से काम कर रहे हो, यह तो जानते ही हो कि मरीज की जान बचाने के लिए परिवार वाले खेत,जेवर,मकान, जमीन कुछ भी बेचकर रुपया ला सकते हैं।”
“जी सर,देखता हूँ । जिस मरीज के साथ वाले थोड़ा ज्यादा पढ़े-लिखे होते हैं,उनसे बचना पड़ता है । क्योंकि वे दूसरे अस्पताल में जाने का मन बनाने लगते हैं ।”
“हाँ, ऐसे लोगों से मत बात करना । थोड़ा मनोवैज्ञानिक ढंग से भी चला करो । मरीज के घर वाले आपस में क्या बात कर रहे हैं, क्या मन बना रहे हैं, यह सब जानने के लिए वार्ड ब्वॉय या फर्श साफ करने वाली दाई को लगा दिया करो कि वह अपना काम करते समय लोगों की बातें भी सुना करे । सुनकर बताया करे ।”
“हाँ सर,यह तो मैंने बोला हुआ है । वह दाई पोंछा लगाते समय जो सुनती है, मुझे बताती भी है । रामू वार्ड बॉय तो इस काम में माहिर है । वह मरीज के परिजनों से अपने से खुद बात छेड़ कर मन की बात उगलवा लेता है।”
“ठीक है। आईसीयू में सबसे बड़ा लाभ हमें यह होता है कि वहां मरीज के परिजन बैठे नहीं रह सकते। हम मनमाने ढंग से दवा,ईलाज व बिल बना सकते हैं।कोई बाहरी व्यक्ति देख नहीं सकता कि हम क्या कर रहे हैं।”
“ओके सर,अभी देखता हूँ।” कहकर मैनेजर मालिक के केबिन से बाहर निकल गया।
– लालडिग्गी, सिंहगढ़ की गली,
चिकाने टोला, मिर्जापुर-231001
उत्तर प्रदेश
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