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– जहान भारती अशोक

मैंने देखा नहीं… दुबारा सनम,

तुमसा हसीं… औ’  प्यारा सनम।

 

जमीं तो जमीं… आसमां में भी,

दीखे सिर्फ चेहरा… तुम्हारा सनम।

 

चमन-चमन, कली-कली हर शै’ से,

आये मेहक सिर्फ… तुम्हारा सनम।

 

ताजमहल की मानिंद… चारों ओर

चर्चा है सिर्फ… तुम्हारा सनम।

 

सदियों तलक… भुला न पायेगा,

जमाना ये रिश्ता… हमारा सनम।

 

 

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