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पटना : 12/03/2021 ! शैलजा सिंह ( गाजियाबाद) ने – मन में फागुन तन में फागुन, झीलों नदियों, वन में फागुन। बंदनवार बन सजे सीमा पर।
पहुंचे जब यह रण में फागुन।/ आराधना प्रसाद ने – दिल के आंगन में भी बजने लगी शहनाई हैl, होली पिचकारी मुहब्बत से भरी लाई है l / सुरेश कुमार चौधरी ‘दादा ‘( कोलकाता ) ने – बटुआ खाली क्या करें, महंगाइ की मार |, होली गयी कबाड़ में, दुखिया सब संसार ! / कुंदन आनंद ने- आओ रंग मानवता का इक दूजे को हम लगाएं, इस होली अपने अवगुण का हम होलिका जलाएं.l / अरविंद दिनकर ने -छाया होली का रंग, मन में बाजे मृदंग , सखा-सखियों के संग, खूब छन रहा भंग। / सिद्धेश्वर ने – चहकना है अगर तो वतन से कर लो दोस्ती !,सूखे फूल की तरह मुर्झाना अच्छा नहीं l, गीत बनकर. पवन से कर लो दो-चार बातें !,खामोशी में भीतर से टूट जाना अच्छा नहीं l / पथिक रचना ( नैनीताल ) ने – मैं और तुम चुपचाप रहे, और चांदनी करती रही बात !, शब्द रुके से है होठों के, आंखों से होती, रही बरसात ! / विजय गुंजन ने – नींद अधूरी नयन में भरे !”/
/ लता सिन्हा ज्योतिर्मय ( मुजफ्फरपुर ) ने – है कैलाश सजी शिव की नगरी, सजे दीप बजे हैं मृदं,चढा भांग धतूरा, श्रृंगार भी पूरा,गए फागुन में शिव रंग,हो भोला पार्वती के संग ! / राज प्रिया रानी ने – होली आई री आईं री होली आई री, रंग अबीर संग फगुआ खेल, मल्हार सुनावे बहुरंगी मेल, जब चूड़ी खनकी झनका पायल,,, !”
जैसी रंग बिरंगी कविताओं ने श्रोताओं को झूमने के लिए मजबूर कर दिया l फेसबुक पेज पर देश-विदेश के ढेर सारे लोगों ने अपने विचार भी व्यक्त किए l मौका था अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ” रचनाकार ” संस्था की pबिहार इकाई द्वारा आयोजित होली रंगोत्सव काव्य सम्मेलन का l
ऑनलाइन इस कवि सम्मेलन की फागुनआहट भरी मदमस्त संचालन करती हुई संस्था की अध्यक्ष एवं वरिष्ठ शायरा आराधना प्रसाद ने कहा कि- वसंत ऋतु आते ही कविताओं में फगुनाहट दिखने लगती हैl गूगल मीट एवं फेसबुक पर आयोजित इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन में रचनाकार संस्था के संस्थापक सुरेश कुमार चौधरी ” दादा ” (कोलकाता ) ने कहा कि – भारत के दोनों प्रमुख त्योहार होली एवं दीवाली कृषि से जुड़े हैं, जिनका विवरण वैदिक ग्रन्थों में मिलता है । बसंत ऋतु में होने वाले उत्सव को वासंती नव सशस्येष्ठी यज्ञ कहा गया है!
जबकि संस्था के महासचिव एवं वरिष्ठ कवि सिद्धेश्वर ने कहा कि – पारंपरिक एवं आधुनिक होली की कविताएं हमारे भीतर उत्साह पैदा कर, सौहार्द की भावना को जगाती है l लगभग दो घंटे तक चली इस होली रंगोत्सव कवि सम्मेलन मैं 300 से अधिक देश विदेश के काव्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया, और इस काव्य संध्या को यादगार बना दिया l फागोत्सव में रचनाकार के बोन वेले कार्यक्रमों का आगाज़ इस गोष्ठी से हुआ l

– प्रस्तुति : सिद्धेश्वर /
महासचिव : ” रचनाकार “(पटना इकाई )
( मोबाइल 92347 60365 )

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