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– शंकर लाल माहेश्वरी

महिला सशक्तिकरण का आशय है कि ‘‘महिलाओं को फैसले लेने का अधिकार देना, अपनी जिन्दगी के बारे में निर्णय लेने की पूरी आजादी देना या उनमें ऐसी क्षमता पैदा करना जिससे की वे समाज में अपना सही स्थान प्राप्त कर सके और अपनी निजता की रक्षा करते हुए खुल कर साँस ले सके।’’
संयुक्त परिवार के सुदृढ़ीकरण से बालकों की देखरेख, उनके संस्कार निर्माण, रोजगारोन्मुखी होना, चहुँमुखी विकास, समस्याओं के समाधान में सहजता, वृद्व व अपाहिजों को सहारा, बुजुर्गों के अनुभवों का लाभ, श्रम विभाजन, धार्मिक कृत्य, मनोरंजन, अनुशासन, सुरक्षा, संस्कृति की रक्षा आदि संभव है अतः-
 सामाजिक संगठनो, सूचना प्रोद्यागिकी, सोशल मीडिया के प्रयोग, विचार गोष्ठियों, कार्यशालाओं पत्र पत्रिकाओं तथा सभा सम्मेलनों के आयोजन एवं संस्कार शिविरों की व्यवस्था से विचार क्रांति द्वारा संयुक्त परिवार प्रथा को सुदृढ़ बनाया जा सकता है।
 महिला शिक्षा से ही महिलाएं सशक्त बनेगी, तभी पारिवारिक समरसता, बच्चों का समग्र विकास, आर्थिक संबल, रोजगार तथा कुरीतियों पर नियन्त्रण और प्रगति की संभावनांए बढे़गी इसीलिए इस आधी आबादी की शिक्षा दर को बढ़ानें के लिए-
* गरीब व असहाय तथा विधवा व परित्यक्ताओं के लिए ऐसी शिक्षण संस्थाएं स्थापित हो जहाँ उन्हें निशुल्क शिक्षा मिल सके।
* व्यक्त्वि विकास व संस्कार निर्माण हेतु शिविरों का आयोजन हो।
* गरीब बहू बेटियों के लिए ऐसे छात्रावास स्थापित हो जहाँ निशुल्क आवास तथा भोजन उपलब्ध हो सके।
* कौशल विकास तथा कॅरियर गाइडेन्स हेतु विशेष कार्याशालाओं का आयोजन हो।
* विशेष सर्वे द्वारा महिला प्रतिभाओं की तलाश की जाकर उन्हें अपेक्षित प्रशिक्षण दिया जाए।
* व्यावसायिक शिक्षा केन्द्र स्थापित किए जाए।
* महिलाओं की शैक्षिक तथा अन्य प्रकार की प्रतिभा उन्नयन हेतु प्रतियोगिताओं की व्यवस्था की जाए।
* महिलाओं के लिए प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी हेतु कोचिंग सेंटर बनाये जाए।
* प्रतिभाशाली छात्राओं तथा गरीब बेटियों के लिए छात्रवृत्तियों की व्यवस्था की जाए।
* सरकार द्वारा संचालित महिला शिक्षा से संबंद्व लाभकारी योजनाओं की जानकारी दी जाए।
* सामाजिक विचार मंचो पर महिला शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाए।
* इंटरनेट, कम्प्युटर व स्मार्ट फोन का ज्ञान हो।
* महिला स्वास्थ्य के लिए उनके यौन शौषण, प्रसवकालीन समस्या, महिला दुराचार तथा घरेलू हिंसा पर नियन्त्रण आवश्यक है क्योंकि स्वस्थ महिलाएं ही पारिवारिक सुख समृद्वि में सहायक होती है इसीलिए-
* ऐसे महिला चिकित्सालयों की स्थापना हो जहाँ गरीब महिलाओं का निशुल्क उपचार हो सके।
घरेलू हिंसा पर नियन्त्रण किया जाए ताकि तनाव मुक्त रह सके।
* कुपोषण तथा प्रदूषण से बचाव हो।
* सरकार द्वारा संचालित महिला स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं की जानकारी दी जाए।
* महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधित कानून की जानकारी दी जाए यथा-
– अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956
-दहेज रोक अधिनियम 1961
-मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987
-लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994
-बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006
-कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013
* घरेलु हिंसा भी महिला वर्ग के लिए अभिषाप है। ‘‘हिंसा से तात्पर्य यह है कि अपने या अन्य व्यक्ति या समूह या समुदाय के द्वारा सोच समझकर शारीरिक शक्ति का प्रयोग या धमकी जिसका परिणाम या सम्भावना चोट, मृत्यु, मनोवैज्ञानिक हानियों के विकास से चन्चित होना है।’
-विश्व स्वास्थ्य संगठन
सामान्यतः घरेलू हिंसा का कारण है- परिवार की विपन्नता, महिलाओं की स्वच्छन्दता, बाल विवाह, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, फिजूल खर्ची, नशाखोरी, स्वार्थपरता, अन्धविश्वास आदि। विशेषतः गरीबी, अशिक्षा, सहिष्णुता का अभाव तथा कुसंस्कारों के कारण घरेलू हिंसा होती है। इस अपराध की रोकथाम के लिए –
* घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से अवगत कराया जाए।
* भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498 के अधीन होने वाली कार्यवाही से महिलाओं को अवगत कराया जाए।
* लिंग के आधार पर कन्या भू्रण हत्या होना सशक्तिकरण में बाधक हैं।
* महिलाएं हिंसा व अपराध की शिकायत 181 नम्बर पर कर सकती है।
* महिलाओं की तस्करी व यौन शौषण पर रोक हो।
कामकाजी महिलाओं की दक्षता वृद्वि से परिवार की आर्थिक सुरक्षा, बच्चों को सुशिक्षा, तनाव मुक्ति, असहाय व वृद्व जन की सेवा, समय का सदुपयोग, उचित रोगोपचार की सुविधा होती है अतः महिलाओं के लिए-
* रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
* औद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करना।
* पुरुषों के समान शिक्षा।
* तरक्की व भुगतान की सुनिश्चितता।
* कार्यक्षेत्रों में शारीरिक शोषण पर नियन्त्रण।
* कार्यक्षेत्रों में निर्धारित आरक्षण की सुविधा।
* बाल मजदूरी पर रोक।
* वैश्यावृति तथा मानव तस्करी पर रोक।
* महिला आयोगों की कार्यप्रणाली की जानकारी।
* मानसिक दक्षता विकास कार्यक्रम।
* रोजगार के नये क्षेत्र की जानकारी।
* अपने अधिकारों की सुरक्षा हेतु जागरुकता।
* कामगार महिलाओं के लिए सरकार द्वारा निर्धारित प्रावधानों की जानकारी देना।
* प्रधानमन्त्री सुरक्षित मातृत्व
* गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व गुणवत्तापूर्ण देखभाल
* गर्भवती महिलाओं के लिये विशेष पारिश्रमिक
* प्रधानमन्त्री मातृत्व वन्दना योजना
* मातृत्व अवकाश
महिला दुराचार की घटनाएं निरन्तर बढ़ती जा रही है, महिलाएं छेड़छाड, दुष्कर्म, मारपीट, हत्याएं, अपहरण, गैंगरेप, तेजाब फेंकना आदि से पीड़ित है इसके कई कारण है- संयुक्त परिवार प्रथा का विघटन, बालकों में सुसंस्कारों का अभाव, बेटे-बेटी में भेदभाव, संरक्षण का अभाव, छुआछूत आदि ।
इस दिशा में महिलाओं को जागरूक करने के लिये-
* सरकारी अपराध प्रकोष्ठ की कार्यप्रणाली की जानकारी देना।
* स्मार्ट फोन के सदुपयोग का अभ्यास।
* महिला संघठनों का सहयोग।
* सम्बन्धित कानूनों की पर्याप्त जानकारी।
* विज्ञापनों, धारावाहिकों, फिल्मों मे नारी देह के अश्लील प्रदर्शन पर रोक।
* दुराचारियों से मुकाबला करने का कौशल विकास।
समाज में धीरे-धीरे बेटियों की संख्या घटती जा रही है अतः सही लिंगानुपात के लिये जनसंख्या वृद्वि हेतु प्रयास समाज स्तर पर प्रयास आवश्यक है। आज समाज में कई विकृतियाँ है जैसे सुसंस्कारों का अभाव, प्री वेडिंग, विधवा विवाह पर अंकुश, महँगी शादियां, दिखावा, आडम्बर तथा आध्यात्मिक दृष्टिकोण का अभाव भी महिला उत्पीड़न को बढ़ावा देता है। बहु-बेटियों को सुविधा प्रदान करने के लिये इन कार्य प्रवृत्तियों का क्रियान्वयन भी उपयोगी होगा- सही उम्र में बेटियों की शादी, परिचय सम्मेलन तथा सामूहिक विवाह, इंटरनेट का सदुपयोग, विचार मंचो तथा सूचना तकनीक का सदुपयोग प्रेम विवाह पर नियन्त्रण, वैवाहिक सम्बन्धों के लिए सामाजिक सगठनों का सहयोग, नवयुवती मण्डलों का गठन, अन्तर्जातीय विवाहों पर अंकुश, तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा को बढावा, प्रशासनिक व राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी, सामाजिक सरोकारों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना आदि प्रावधान भी महिला सशक्तिकरण को सम्बल प्रदान करते है। यदि उपरोक्त विचार बिन्दुओं पर गंभीरता पूर्वक क्रियान्वयन किया जाए तो महिला सशक्तिकरण की दिशा में उपयोगी सिद्व होगा।

– पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी
पोस्ट-आगूचा जिला-भीलवाडा
राजस्थान पिन- 311022
मो 0941378161

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