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कोलकाता !16/01/2022 !” आदर्श, नैतिकता, प्रतिभा, न तो इंसानियत है बहुत कुछ!, देश को लूटने वालों की चर्चा है बहुत कुछ!!”/” इंसान को पहले इंसान होना चाहिए !, फिर कोई धर्म या ईमान होना चाहिए !!”/ सुख सपनों का संसार है बेटी !,या मां-बाप का कर्जदार है बेटी ?”/ छोड़ दिया मैंने तेरे जैसे बेदिलों से दिल लगाना !, जिसे चाहिए था प्यार नहीं, दौलत का बड़ा खजाना !!”/ बच्चे झूठे नहीं होते!, मगर, पसंद होते है मां-बाप को, झूठे बच्चे!, उनसे कबुलवाते हैं ‘झूठ ‘,  पढ़वाते हैं गलत पाठ !!”/ हे ईश्वर, मेरी भक्ति के बदले, तू बस इतना कर दे !,नालायक औलाद देने के बजाय, मेरी कोख में तू बारूद भर दे !!”

अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ” रचनाकार” के कोलकाता  मुख्यालय के द्वारा, ऑनलाइन फेसबुक के पेज पर, वरिष्ठ चित्रकार और कवि सिद्धेश्वर ने, अपने एकल काव्य पाठ,  के दौरान उपरोक्त कविताओं का पाठ किया l

लगभग एक  घंटे तक चली इस ऑनलाइन काव्य पाठ में सिद्धेश्वर ने अपनी तीस से अधिक प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया,  जिसके अंतर्गत गीत, गजल, मुक्तक और शेरो शायरी शामिल थे l  ढेर सारे श्रोताओं ने इसका रसास्वादन लेते हुए अपनी प्रतिक्रियाएं भी जाहिर किया l  सिद्धेश्वर ने अपनी कविताओं में कहा -” हम जमाने में सताए जाएंगे ! फिर भी हरदम मुस्कुराए  जाएंगे !”/ जब जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है दोस्त !, वादा अगर किया है, निभा देना चाहिए !”/ दुनिया रूपी,  जहरीली सिगरेट के डिब्बे में बंद, आदमकद सिगरेट हूं मैं !, भ्रष्टाचार, फरेब,  झूठ और बेईमानी का, करवा तंबाकू भरा है मुझमें !”/ कैसी दीवार है यह, बंटा परिवार है यह !,नहीं बेचा ईमान!,कैसा खुद्दार है यह,  भ्रष्टाचार बना शिष्टाचार, कैसी सरकार है यह ?”// आकाश में तीर चलाकर, भला तुम क्या करोगे?, क्या शब्दों के अपव्यय से, कविता की गोद भरोगे ?”/ हे ईश्वर, ए खुदा !,हमने तो मांगा था तुमसे अमृत जल !, तेरे  हाथों के रखे कटोरे में, आदम खून, किस लिए? किसके लिए ??”

अपनी कविताओं का पाठ करते हुए सिद्धेश्वर ने कहा कि जिसके लिए कविता लिखी जाती है यदि उसके समझ में आ गई,  तभी कविता सार्थक है ! सपाटबयानी कविता के नाम पर पहेली बुझाना,  पाठकों को दिग्भ्रमित करना है ! मेरा प्रयास रहता है कि अपनी कविताओं के माध्यम से मैं पाठकों से सीधा संवाद कर सकूं !”

“समकालीन कविता के मन- मिजाज और तेवर से परिपूर्ण है सिद्धेश्वर की कविताएं !”:.सुरेश चौधरी

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   ” सिद्धेश्वर की कविताओं में सार्थक बिंब और  टटकापन है l” : आराधना प्रसाद

 

अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था रचनाकार के अध्यक्ष सुरेश कुमार चौधरी  ‘दादा ‘ ( कोलकाता)  ने कहा कि-”  वरिष्ठ कवि और चित्रकार सिद्धेश्वर की कविताओं को सुनते हुए समकालीन कविता के मन मिजाज और तेवर सब का पता चलता है l उनकी कविताओं की खासियत उसकी सादगी और सरलता में है, जो किसी कवि की कठिन उपलब्धि है l ”

वरिष्ठ शायरा आराधना प्रसाद ने कहा कि -”  सिद्धेश्वर की गजलों में गजब की रवानगी है,  जो बहुत कम देखने को मिलती है l  उनकी मुक्तछंद की कविताओं में भी  सार्थक बिंब और टटकापन है l”

सैकड़ों रचनाकार और श्रोताओं ने सिद्धेश्वर की कविताओं पर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त किया, जिनमें प्रमुख है -” दुर्गेश मोहन,  संतोष मालवीय, राज प्रिया रानी, ज्योत्सना सक्सेना, बृजेंद्र मिश्रा,  ललन सिंह, खुशबू मिश्र, डॉ सुनील कुमार उपाध्याय, संजय रॉय, अनिरुद्ध झा दिवाकर, बीना गुप्ता, स्वास्तिका,  अभिषेक श्रीवास्तव आदि की भी भागीदारी रही !

( प्रस्तुति:  राज प्रिया रानी (उपाध्यक्ष : भारतीय युवा साहित्यकार परिषद) {मोबाइल: 9234760365 }

Email :[email protected]

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