– विजयानंद विजय
” सारे बूचड़खाने बंद हो गये हैं। अब शुद्ध, स्वच्छ, स्वस्थ, सात्विक और सशक्त समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा। ” मंच से एक राजनेता बड़े जोशोखरोश से जनता को संबोधित कर रहे थे। जनता सम्मोहित हो, मुग्ध और आश्वस्त हुई जा रही थी। बरसों से संचित अभिलाषा के पूर्ण होने की लालसा में मन प्रफुल्लित व आह्लादित होने लगा था।
” राजनीति के वे बूचड़खाने कब बंद होंगे महाशय, जहाँ जाति, वर्ग, धर्म, संप्रदाय, ढोंग, ढकोसलों, पोंगापंथी और मंदिर – मस्जिद के नाम पर इंसानी भावनाओं और संवेदनाओं का रोज-रोज क़त्ल किया जाता है…? ” अचानक एक स्वर भीड़ के किसी कोने से उभरा, तो नेताजी एकदम से खामोश हो गये और हैरान हो अगल-बगल देखने लगे।
अब नेताजी की खा जाने वाली नज़रें हजारों की भीड़ में से उस शख्स को खोज रही थीं…।
- पता –
बुद्धा कालोनी
कार्लो एजेंसी के पीछे
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