Spread the love

 

 

दिनांक 27 फरवरी 2022 को प्रातः 11:00 बजे अखिल भारतीय साहित्य परिषद उत्तराखंड की नैनीताल इकाई द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश मौर्य द्वारा रचित पुस्तक ‘सोनभद्र की पगडंडियां ‘ का  लोकार्पण  सह परिचर्चा का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ सर्वप्रथम कमलेश मौर्य जी द्वारा स्वरचित सरस्वती वंदना तत्पश्चात सृष्टि गंगवार द्वारा परिषद गीत की प्रस्तुति के साथ किया गया। कार्यक्रम में बीज वक्तव्य देते हुए काव्य संग्रह ‘ सोनभद्र की पगडंडियां ‘ के लेखक वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश मौर्य जी ने पुस्तक की भूमिका के संबंध में प्रकाश डालते हुए काव्य संग्रह की कुछ पंक्तियों को प्रस्तुत किया। कहा कि यह पुस्तक सोनभद्र जनपद के औद्योगिक परिवेश को प्रस्तुत करती है। एक कविता के माध्यम से उन्होंने यह है प्रदर्शित किया है कि सक्षम व्यक्ति खुद न्याय कर डालता है जबकि कमजोर व्यक्ति न्याय का इंतजार करते हैं। उन्होंने एक कविता में काम पर जाते हुए मजदूरों व उनके परिवारों का भी मार्मिक वर्णन प्रस्तुत किया है। पश्चात वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय विजयानन्द जी ( प्रयागराज )   द्वारा पुस्तक की विषयवस्तु के विषय में विस्तार पूर्वक विचार व्यक्त  किये गए । उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में मानवीय जीवन के लोकरंजन पक्ष का वर्णन किया गया है साथ ही प्रकृति व पर्यावरण से जुड़ी कविताएं भी हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ चंद्रभान यादव जी ने ” सोनभद्र की पगडंडिया “पुस्तक पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए  कहा कि सोनभद्र की पगडंडिया पूरे भारत की पगडंडियों का प्रतिधिनित्व करती है, कमलेश मौर्य जी की कविताएं गॉव , घर और पारिवारिक संबंधों की गाथा कहती कविताएं है, इसमें एक ओर जहाँ पर्यावरण के नष्ट होने पर चिंता के स्वर है तो दूसरी ओर संयुक्त परिवारों के विघटन के स्वर भी उपस्थित है, सोन के जंगल कविता में कवि के पर्यावरण प्रेम और जंगली जीवों, आदिवासी समाज के नष्ट होने की पीड़ा भी विद्द्यमान है ।

कार्यक्रम की विशिष्ट वक्त डॉ मधु पाठक जी द्वारा जहाँ काव्य संग्रह की कविताओं का भावपूर्ण काव्य पाठ किया गया वही पुस्तक में समाहित विषयों की गहन विवेचना भी प्रस्तुत की गयी आपने अपने वक्तव्य में यूक्रेन – रूस  युध्द का संदर्भ लेते हुए जंगली जीवन के नष्ट होने पर अपनी चिंता प्रकट की । कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ सुनील पाठक जी ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उनके द्वारा प्रस्तुत विचारों का गहन विश्लेषण करते हुए निराला की कविताओं को आज के समय में भी प्रासंगिक बताया  आज के कार्यक्रम का संयोजन व संचालन हिंदी विभाग  कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल, के वरिष्ठ शोधार्थी अरविन्द कुमार द्वारा किया गया, आज के कार्यक्रम में डॉ दिवाकर सिंह, डॉ. सुभाष कुशवाहा जी विशेष रूप से उपस्थित रहे । कार्यक्रम का समापन लता प्रासर द्वारा राष्ट्रीय गीत के गायन द्वारा हुआ ।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

satta king gali