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– डॉ.  आरती कुमारी

नए साल की गर्माहट में
पुरानी सर्द यादों को
न भूल पाएंगे हम।

नए वसंत की खुशबू में
पुराने मसले फूलों को
न भूल पाएंगे हम।

नए बहार के राग में
पुरानी सिसकती आहों को
न भूल पाएंगे हम।

नई घटा की बारिश में
बेबस बरसते आंसू को
न भूल पाएंगे हम।

नई फसल की चाहत में
पुरानी कुचली बीजों को
न भूल पाएंगे हम।

नए जीवन की आस में
दम तोड़ती साँसों को
न भूल पाएंगे हम।

नए साल के शोर में
दफ़्न होती आवाज़ों को
न भूल पाएंगे हम।

– मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार

 

( कॉपीराइट – कलाकृति : सिद्धेश्वर )

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