– वीरेंद्र कुमार साहू
कविता
दूर वो जो शहर बसता है
लोग कहते हैं वहाँ
कोई अपना रहता है
टूट जाता है
जरा सी चोट से
दिल गुलाब सा
नाजुक होता है।
अपने होते तो
संभाल लेते
जिंदगी के मुश्किलों में
दामन छोड़ता कौन है
खैर जीने की सबक
हम भी जान जाएँगे
वक़्त गुरु है
सिखाता बहुत है।।
-सूरजपुर