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– डॉ. पुष्पा जमुआर

 

तिरंगे में लिपटे बेटे का पार्थिव शरीर दरवाजे पर आते ही वृद्ध पिता ताबूत से लिपट कर रोने लगा और काँपती आवाज़ में कहा, “माँ भारती की रक्षा में मेरा बेटा शहीद हुआ है । शहीद मरते नहीं । वह सभी के दिलों में जिन्दा रहते हैं ।”

सभी की आँखें रो रही थीं । लोग अपनी – अपनी आंखें पोछ भी रहे थे और जोश के साथ भारत माता का जय घोष भी कर रहे थे । चारों तरफ वातावरण में अमर रहे, अमर रहे… गुंजायमान हो रहा था । लोगों ने द्रवित हृदय से अमर वीर जवान जिन्दाबाद के नारे लगाते हुए शहीद महेश के पार्थिव शरीर का  स्वागत किया ।

पिता ने गर्व से कहा, ” भारत के बेटे ने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु जान दी है । दुश्मनों के घर में घुस कर मारा है,  सीने पर खाई है गोली और मातृभूमि के लिए शहीद हो गया । शहीद महेश जिन्दाबाद ! वीर जवान अमर है ।”

थरथराते हाथों से बेटे को सहलाते हुए पिता ने कहा, “बेटा! महेश! तुम कहते थे कि पिता जी आप मेरे लिए चिन्ता न करें आप मेरे हीं कंधो पर पार उतरेंगे । किन्तु मातृभूमि की रक्षा हेतु प्रभु ने तुम्हारा चुनाव किया । बड़े भाग्यवान हो बेटा !” और अपने दस वर्षीय पौत्र बन्टू से लिपट कर वह फूट – फूट कर  रोने लगे  ।

वातावरण देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो रहा था। पिता के दुख में सभी सहायक थे ।

गांव का बेटा अंतिम विदाई माँग रहा था ।

बन्टू अपने दादा के गले लग सुबकते हुए कहा, “दादा जी, मैं भी सैनिक बनूँगा पापा की तरह । उसने मेरे पापा को मारा है, मैं पाकिस्तान के पापा को मारूंगा ।” बन्टू की बातें सुनकर वहाँ मौजूद सभी लोगों ने  एक स्वर में भारत माता का जय घोष किया और बुलंद आवाज में कहा – संभल जाओ ऐ पाकिस्तान, हिन्दुस्तान का बच्चा – बच्चा है वीरजवान ।”

तिरंगे झंडे में लिपटे, फूलों से सजे हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच महेश का पार्थिव शरीर पिता ने अपने कंधों पर उठाते हुए कहा, “काश ईश्वर ने मुझे और बेटा दिया होता, तो  मैं उसे भी मातृभूमि की रक्षा हेतु  भारत माता को सौंप देता ।”

इतना सुनते ही बन्टू ने तपाक से कहा, “दादा जी, मैं हूँ न! मैं करूंगा अपने देश की रक्षा । फिर कोई दुश्मन हमारे हिन्दुस्तान पर आँख उठाने की हिम्मत नहीं करेगा ।”

बाल सुलभ बातें सुनकर वहाँ मौजूद सभी लोगों ने तालियों से बन्टू के हौसले का स्वागत किया । शाम ढलने लगी थी । हिन्दुस्तान जिन्दाबाद के नारे लग रहे थे । महेश जिन्दाबाद, महेश अमर रहे, भारत माता की जय से वातावरण पवित्र हो रहा था । लोगों ने श्रद्धा से विनम्रता पूर्वक जाते हुए शहीद महेश को श्रद्धांजलि दी । सैनिकों की सलामी के साथ शहीद महेश की गाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ाने लगी । किन्तु सभी के कानों में बन्टू की बातें  “मैं हूँ न” गूंज रही थी ।

  • पटना, बिहार

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