– गोविन्द भारद्वाज
“अरी बहू, देखो घर में जगह-जगह चींटियाँ निकल रही हैं… ज़रा इनके बिलों पर थोड़ा-थोड़ा फिनाइल छिड़क देना… ” सास ने घर से बाहर निकलते हुए कहा.
“माँ जी, आप कहाँ जा रही हैं..?” बहू ने एकाएक पूछ लिया.
“अरे बहू, मैं थोड़ा बाहर तक जा रही हूँ, चीँटियों को चावल के दाने डालने…” सास ने जवाब दिया.
– पितृकृपा, 4/254, बी-ब्लॉक
हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पंचशील,
अजमेर-305004 (राजस्थान)
9461020491