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अलका मित्तल
फ़र्ज़ अपने भी कुछ तुम निभाया करो
रूठ जाये अगर दिल मनाया करो
छोड़ दो बस अकेला हमें आज तुम
हक़ न हमपे हमेशा जताया करो
याद जब भी सताये हमारी कभी
बात दिल की ग़ज़ल में सुनाया करो
खोल दी सब गिरह अब नही कुछ बचा
राज तुम भी न हम से छुपाया करो
रात भर हम तड़पते रहे याद में
ख़्वाब झूठे न हमको दिखाया करो
राह अलका मिली प्यार की अब हमें
जश्न मिलकर ख़ुशी से मनाया करो।