Spread the love

 

 

– अलका मित्तल

 

ग़ज़ल

पास बैठो मेरी क़िस्मत भी सँवर जायेगी
चाँदनी रात ये छत पर ही गुज़र जायेगी

सोचकर दिल न दुखाया करो जी तुम अपना
है लिखी चीज़ जो क़िस्मत में किधर जायेगी

तुम करो बात मुहब्बत की कभी तो हमसे
ज़िन्दगी वरना हमारी ये ठहर जायेगी

बाद मुद्दत के मिले हो ये है रब की रहमत
आज की रात तो आँखों में गुज़र जायेगी

आप आये तो उजाला है दिखा आँखों में
आपके साथ तो क़िस्मत भी सुधर जायेगी

है नहीं कोई यहाँ पे किसी का भी अलका
दूर तक देखो जहाँ तक ये नज़र जायेगी

Leave a Reply

Your email address will not be published.

satta king gali