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केदारनाथ सविता

ऐसा कहा जाता है कि जिसका जो नाम रखा  जाता है उसके अंदर वैसा ही गुण -अवगुण आ जाता है। चार भाइयों व दो बहनों के बीच मंजू रानी का जन्म हुआ। मंजू का अर्थ होता है सीधा व सरल । मंजू निहायत सीधी ,सरल व संकोची किस्म की लड़की थी । वह  बारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी। परिवार बड़ा था। किसी तरह खर्च चल रहा था। कमाने वाले एक पिता थे। खाने वाले 9 थे। मंजू के सभी भाई बहन पढ़ ही रहे थे।

     एक दिन मंजू की चप्पल स्कूल जाते समय टूट गई। उसने रास्ते में बैठे मोची से उसमें दो-तीन कील ठोंकवा कर काम चलाने लायक बनवा लिया। उसी चप्पल को रोज पहन कर स्कूल जाते-आते एक दिन उसके पैर में एक कील धंस गया। मंजू ने किसी को कुछ बताया नहीं। सोचा घाव अपने आप ठीक हो जायेगा। लेकिन वह फोड़ा बन गया। अब उसे चलने में परेशानी होने लगी। लंगड़ा कर चलने लगी।
     मंजू ने अपनी परेशानी अपने बड़े भाई रामजी को एक दिन बताया। भाई भी बिना घर में किसी को बताये मंजू को लिवा कर सरकारी अस्पताल में चला गया। वहां पर्चा बनवा कर सर्जन डॉक्टर से मिला।   सरकारी डॉक्टर सरकारी नर्स से बातें करने में मशगूल था। उसने मंजू का पैर देखकर पेंसिलिन का इंजेक्शन हाई पावर का लिख दिया। कहा-“दस इंजेक्शन लगवा लो, फोड़ा सूख जाएगा ।’ अस्पताल से कोई दवा लगाने या खाने का नहीं दिया।
     रामजी ने शाम को केमिस्ट से एक इंजेक्शन खरीद कर एक प्राइवेट डॉक्टर के परिचित कंपाउंडर से लगाने को कहा। कम्पाउंडर ने कहा,-“इतना अधिक पावर का इंजेक्शन मैं नहीं लगाऊंगा। कोई रिएक्शन हो सकता है। पहले एक इंजेक्शन अस्पताल में सरकारी कम्पाउंडर से लगवा लो । जब कोई साइड  नहीं होगा तब बाकी मैं रोज लगा दिया करूंगा ।”
     अगले दिन रामजी फिर मंजू को लिवा कर सरकारी अस्पताल में गया। वहां ड्रेसिंग रूम में सरकारी कम्पाउंडर ने डॉक्टर का पर्चा देख कर इंजेक्शन लगा दिया।
     इंजेक्शन से बेहोशी,चक्कर, मूर्छा आदि कुछ नहीं आने पर शेष इंजेक्शन भी प्राइवेट कम्पाउंडर ने रोज एक-एक कर लगा दिया। मई-जून माह की गर्मी के दिन थे। पैर का फोड़ा तो सुख गया,लेकिन मंजू का लिवर,किडनी खराब हो गया। उसे पीलिया हो गया। एक दिन वह बाथरूम जाते समय बेहोश होकर कर  घर मे गिर पड़ी। घर वाले घबड़ा कर उसे आनन-फानन में लेकर फिर उसी सरकारी अस्पताल में पहुंचे।क्योंकि प्राइवेट इलाज कराने की सामर्थ्य नहीं थी। पैसे से कमजोर थे।
     अस्पताल में कुछ दिन ईलाज चला। डॉक्टर अस्पताल की व बाहर की दवा खरीदवा कर इलाज करते रहे। लेकिन मंजू फिर अपने घर जीवित नहीं गयी ।
               – लालडिग्गी, सिंह गढ़ की गली,मिर्जापुर
               पिन-231001 ,उत्तर प्रदेश
            मोबाइल-9935685058

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