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– समीर उपाध्याय ‘ललित’

 

जीवन इतिश्री नहीं, अथश्री है।
जीवन में आ सकते हैं सूर्यास्त के क्षण,
किंतु जीवन ढलने वाली शाम नहीं।
जीवन तो है
सूर्योदय के समय की सुंदर मनोहर लालिमा का नाम।

जीवन इतिश्री नहीं, अथश्री है।
जीवन में आ सकते हैं अंधकार के क्षण
किंतु जीवन अंधेरी काल रात्रि नहीं।
जीवन तो है
भोर में पूर्व से आने वाली सुनहरी किरणों का नाम।

जीवन इतिश्री नहीं, अथश्री है।
जीवन में आ सकते हैं संघर्ष के क्षण,
किंतु जीवन सिर्फ़ कठोर परीक्षा नहीं,
जीवन तो है
अग्नि में तपकर निकले हुए शुद्ध सुवर्ण का नाम।

जीवन इतिश्री नहीं, अथश्री है।
जीवन में आ सकते हैं ठहराव के क्षण।
किंतु जीवन रुकने का नाम नहीं,
जीवन तो है
बिना रुके ही निरंतर चलती हुई गाड़ी का नाम।

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