– केदारनाथ सविता
प्यार
सुंदर जिल्द और आकर्षक मुखपृष्ठ युक्त
पुस्तक को खरीद कर
बिन पढ़े जैसे
आलमारी में
सजा दिया गया हो
ऐसा था प्यार तुम्हारा
जिसे प्यार ना किया गया हो।
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किसान
अधिक अन्न उपजाओ
आंदोलन के तहत
किसान
खेत की मिट्टी संग
मिलकर
अपने श्रम को
मिट्टी में मिला रहा है
औने- पौने दाम में
फसल बेचकर
खाद, बीज, दवा, पानी में
घर की भी पूंजी गवां रहा है,
बाजार में घुसे हैं
बिग बाजार, सुपर मार्केट
और बड़े-बड़े लोग,
उसकी उपज का दूना लाभ तो
फैंसी मार्केट कमा रहा है।
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पुत्र
पुत्र अब वृद्ध पिता को
परदेश से नहीं लिखता है पत्र
न भेजता है
घर का खर्च,
सन्देश टाइप करता है
मोबाइल पर —
सरकारी काम है
बहुत खटना पड़ता है
नहीं आ पाऊंगा घर
दीपावली पर
इस वर्ष ।
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भारत
भारत एक कृषि प्रधान देश है
जहां खेतों में फसल की जगह
खड़ी हो रही हैं
बहुमंजिली इमारतें
जहां मौसमों के खिलाफ होती हैं साजिशें
बैठकें होती हैं पर्यावरण के लिये
भारत एक कुर्सी प्रधान देश है
जहां कुर्सी के लिए
बिकता है ईमान
बिकता है सच
बिकती है आत्मा
भारत एक रिश्वत प्रधान देश है
रिश्वत से ही बने हैं
बड़े-बड़े बांध
और भरे हैं कर्णधारों के पेट,
गायब हो गए हैं
बड़े-बड़े तालाब
नहर व गाँव के पोखर
पटवारी के नक्शे पर
रिश्वत ले-दे कर।
– लालडिग्गी, सिंह गढ़ गली
मिर्ज़ापुर—231001,(उत्तर प्रदेश)
मोबाइल, 9935685068