– विद्या शंकर विद्यार्थी
मुक्तक
1.
तोहार चान का करी भूख के जमीन पर
आदमी दिन रात खटs ता भूख के मशीन पर
लहर जाता ओरात नइखे लीले के सिवा
खुदो बहिरा रजो सूर कहाँ केहू तिकता दीन पर।
2.
पढ़s भाई आदमी के नीयत पढ़s
पढ़s भाई आदमी के तबियत पढ़s
संगी होखे से का भइल धोखा बाटे
पढ़s भाई दिल के बसियत पढ़s।
3.
बिस्वास अब पाले के जरूरत नइखे
बिन तलासे डेग डाले के जरूरत नइखे
सब केहू आपन ना हो सकेला कबो
दिल के चोट निकाले के जरूरत नइखे।
4.
अन्हार जे देला अंजोर ना दे सके
छिन लेला जे खुशी भोर ना दे सके
खँखोरे में जे लागल बा आन के खाली
चान के अंश आ चकोर ना दे सके।