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– मनिन्दर कौर 

कुदरत रंग तेरे न्यारे हैं|
कहीं धूप है, कहीं छांव है,
कहीं बरसते बादल प्यारे हैं|
कहीं सुख है, कहीं दुख है,
कहीं खुशियों के झलकारे हैं|
कुदरत रंग तेरे न्यारे हैं|

कहीं पर्वत है, कहीं नदियां है|
कहीं झर आए झरने दूधीहारे हैं|
कहीं दिन है, कहीं रात है|
कहीं दीये के खूबसूरत नज़ारे हैं|
कुदरत रंग तेरे न्यारे हैं|

कहीं मिट्टी है, कहीं सोना है|
कहीं भरे रत्नों के भंडारे है|
कहीं कांटे हैं, कहीं चंदन है|
कहीं फूलों फलों के अंबारे हैं|
कुदरत रंग तेरे न्यारे हैं|

कहीं रोगी है, कहीं भोगी है|
कहीं भगत तेरे मतवारे हैं|
कहीं गम है, कहीं खुशी है|
कहीं उड़ते हसीं के फव्वारे है|
कुदरत रंग तेरे न्यारे हैं|
“मनीन्दर” रंग कुदरत के न्यारे हैं|
रंग कुदरत के न्यारे हैं|

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