– विद्या शंकर विद्यार्थी
भजन
हीरा ना मोर बिकाला रे मितवा,
लाद दुनिया के काला रे मितवा
नगर नगर शहर में घुमलीं
ना केकरो चिन्हाला
दुनिया हरदम नकली चिन्हलस
ना असल लखाला, रे मितवा..।
प्रेम के हीरा प्रेम के धागा
प्रेम के बोली जाने
आँख के आगे तम घेरले बा
आँख जोहत बा उजाला रे मितवा..।
संत जन के सत ह हीरा
दुनिया खोजे बजारू
सत सत ह सत सिंगार ह
एह से लोग सकाला रे मितवा..