– राजपाल सिंह गुलिया
ग़ज़ल
पास है जो वो गँवाना ठीक है क्या,
दाँव पर खुद को लगाना ठीक है क्या.
जानता हूँ हैसियत मैं आपकी तो,
कौन हूँ मैं यह बताना ठीक है क्या.
फर्ज़ भी है देश की सेवा हमारा,
बातों से बस ये जताना ठीक है क्या.
जब दवा से काम बन पाया नहीं तो,
कुछ दुआएं आजमाना ठीक है क्या.
हो गया मुश्किल यहाँ अब साँस लेना,
एक पीपल यहाँ लगाना ठीक है क्या.
बात जब उसकी चली तो आपका ये,
छोड़ महफिल को जाना ठीक है क्या.
सूरमा या बेवकूफ कहूँ बताओ,
शेर सोते को जगाना ठीक है क्या.
-गाँव -जाहिदपुर , डाकखाना – ऊँटलौधा
तहसील व जिला – झज्जर ( हरियाणा )
पिन -124103
मोबाइल नं० – 9416272973
बेहद उम्दा गजल