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ऋचा वर्मा

अनुभव को स्टैंड तक छोड़ने का काम विनय भी कर सकता था, परंतु उसी बहाने घर की किच-किच और दमघोंटू माहौल से थोड़ी देर के लिए राहत और साथ ही दूसरे बच्चों की माँओं से मिलकर, घर, बच्चों और लेटेस्ट फैशन की बातचीत….. सो सुजाता ने स्वेच्छा से यह काम अपने जिम्मे ले लिया था।
“क्या बात है सुजाता, बहुत बुझी – बुझी नजर आ रही हो।” सुजाता के उदास चेहरे को देख नम्रता ने पूछ लिया।
“क्या होगा, वही सुबह – सुबह सासू माँ की किच-किच…..” सुजाता फूट पड़ी।
“तू कुछ कहती क्यों नहीं?” सुगंधा ने जानना चाहा।
“क्या बोलूँ, विनय की सख्त मनाही है कि मैं सासू माँ की किसी भी बात का जवाब न दूं, इसलिए उनके सामने चुप ही रहने की कोशिश करती हूँ।” सुजाता ने अपनी असमर्थता व्यक्त की।
” पता है तुझे, ऐसे माहौल का कितना बुरा असर अनुभव जैसे बच्चों पर पड़ सकता है”, नम्रता ने समझाने के लहजे में कहा।
” पता है, पर चारा क्या है… कामवाली तो जैसे उनकी सहेली है, सामने बिठाकर, मेरे और मेरे मायके वालों के विषय में जाने क्या-क्या अनाप – शनाप बोलते रहती हैं “, सुजाता की आंखें डबडबा गईं थीं।
” तुम भी अपने देवर – देवरानी की तरह क्यों नहीं अलग हो जाते, सास-ससुर तुम्हारे अकेले की जिम्मेदारी थोड़े ही न हैं। ”
सुगंधा के इस सुझाव पर सुजाता कुछ सोचती कि सुगंधा ने बात आगे बढ़ाई, ”
“मैंने एक नया फ्लैट लिया है , किराया पर लगाने का सोच रही हूँ, दोपहर में आओ दिखा देती हूँ।”
….. सुजाता को फ्लैट बहुत पसंद आया “बस विनय किसी तरह से राजी हो जाएं, यहां कितनी आजादी रहेगी, मैं यहां तुम सबको आराम से बुला सकती हूँ…. ” , सुजाता की आंखों में आजादी के सपने तैर रहे थे।
इतना सब करते – करते बच्चों को स्कूल से आने का समय हो गया और तीनों महिलाएं उन्हें लाने चली गईं, और वहां भी उनके बात-चीत का क्रम जारी था कि, अचानक कुछ शोर सुनकर उनलोगों की नजर सड़क की तरफ गई….. अनुभव को लोग उठा रहे थें और उसके सर से खून बह रहा था।
“हे भगवान्, इतना खून !” कहकर नम्रता ने अपनी आंखों को ढ़क लिया।
“इसे जल्दी से अस्पताल ले जाओ।” सुगंधा ने सुझाया, और दोनों अपने – अपने बच्चों को लेकर घर चली गईं।
सुजाता ने तुरंत विनय को फोन लगाया, पर विनय के फोन उठाने से पहले सासू माँ गाड़ी लेकर स्टैंड पहुंच चुकी थीं, किसी ने उन्हें सूचना दे दी थी…..अस्पताल में अनुभव के उपचार करा कर वे शाम तक घर लौट गए।
दूसरे दिन नम्रता और सुगंधा दोनों ने फोन पर अनुभव की खैरियत पूछी।
“….. और तुम मौका देखकर नये फ्लैट के विषय में विनय से जरूर बात करना।” सुगंधा ने सुजाता को याद दिलाया।
“नहीं, मुझे यहीं रहना है, अपने सास-ससुर के साथ” कहकर सुजाता ने फोन काट दिया।

– पटना

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