क्या आपको पता है “ननद-भाभी” की नोकझोंक की प्रथा कब से शुरू हुई …?
आइए बताते हैं आपको-
सावन की पहली सोमवारी पर महादेव से जुड़ी एक अनोखी और रोचक कथा-
अक्सर आप महादेव के परिवार के बारे में सुनते और जानते हैं कि महादेव, माँ पार्वती, श्रीगणेश तथा कार्तिकेय ही परिवार हैं।
परंतु यह बहुत कम लोगों को पता है कि भगवान शिव की एक बहन भी थी ।
यह कथा है जब माँ पार्वती और महादेव की शादी होने के बाद, भोले बाबा माँ पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजे । तब अकेले होने के कारण माँ पार्वती अक्सर उदास रहने लगी थीं और यह देख भोले बाबा ने उदासी का कारण पता करने के लिए
माँ पार्वती से पूछा कि वह क्यों उदास रहती हैं, क्या कारण है ? तब माँ पार्वती ने कहा, “स्वामी, अकेले मन नहीं लगता है । काश! कोई मेरी एक ननद रहती तो मेरा मन लगता और हम ननद – भाभी बहुत ही प्रसन्नता से कैलाश पर रहते।”
यह सुन कर भगवान शंकर ने पूछा, “तुम अपनी ननद को अच्छे से रख पाओगी न ..?
माँ पार्वती ने कहा, “महादेव, आप चिंता न करें, मै हमेशा अपनी ननद को अच्छी तरह से रखूंगी ।”
यह सुन कर बाबा भोलेनाथ ने अपनी महिमा से एक महिला को प्रकट किया, जो देखने में मोटी और भद्दी थी । उसके पैर भी फटे थे।
भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा, “गौरी, देखो, यह देवी आ गई तुम्हारी ननद ! इनका नाम असावरी देवी है।”
माता पार्वती अपनी ननद को देखकर बहुत खुश हुईं । वह जल्दी-जल्दी उनके लिए भोजन का प्रबंध करने लगीं।
असावरी देवी ने स्नान के पश्चात भोजन की मांग कि तो देवी पार्वती ने स्वादिष्ट भोजन उनके सामने परोस दिया। असावरी देवी सारा भोजन चट कर गईं और सारा अन्न भी खा गईं।
इस बीच असावरी देवी को शरारत सूझी, उन्होंने देवी पार्वती को अपने फटे पांव की दरारों में छिपा लिया, जहां उनका दम घुटने लगा।
जब भगवान भोलेनाथ वापस आए तो अपनी पत्नी को ना पाकर बहुत चिंतित हुए। उन्होंने असावरी देवी से पूछा कि कहीं ये उसकी चाल तो नहीं।
असावरी देवी मुस्कुराने लगीं और पार्वतीजी को अपने पैरों की दरारों से आजाद किया। आजाद होते ही देवी ने कहा, “भोलेनाथ, कृपा कर अब मेरी ननद जी को उनकी ससुराल भेज दें, अब और धैर्य नहीं रखा जाता।”
फिर भगवान शिव ने जल्द ही असावरी देवी को कैलाश पर्वत से विदा कर दिया ।
इस घटना के बाद से ऐसा माना जाता है कि इस धरती पर ननद-भाभी के बीच छोटी-छोटी तकरार और नोंक-झोंक का सिलसिला प्रारंभ हुआ।
!! हर हर महादेव!!
यह कथा साभार ली गई है ।
– प्रस्तुति
- आशीष कुमार मिश्र
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