– महेन्द्र “अटकलपच्चू”
मैं जानता हूं
कि
मेरे अपने ने गलती की है
किसी के साथ बुरा बर्ताव किया है
जान बूझ कर
धोखा दिया है
किसी का बनता काम बिगाड़ा है
नीचे गिराने का भरसक
प्रयास किया है
फिर भी
मैं
उसकी प्रशंसा करता हूं
उसकी तारीफों के पुल बांधता हूं
जीवन भर साथ निभाता हूं
अंत में उसके साथ नरक भी चला जाता हूं।।
– ललितपुर(उ. प्र.)
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