Spread the love

 

– राजेश तिवारी ‘मक्खन’

नर तन को पा कर मानव, यू ही बिता रहा है ।
क्या लक्ष्य था तुम्हारा, किस और जा रहा है ।।

मद्य पान जहर मीठा लत इसकी न लगाना ।
धूम्रपान नशा भारी  कैन्सर  को है बुलाना  ।।
बीड़ी तम्बाकू गुटका कितने चबा रहा है।।………….१

वृद्धों की सेवा करना, न दिल कभी दुखाना ।
आशीष आगे आये, ये फर्ज तुम निभाना   ।।
अंगुली पकड़  चलाना, मुझे याद आ रहा है।।-.–.–.२

काम क्रोध लोभ माया,  मन में नहीं बसाना ।
अब राग द्वेष त्यागो,  अच्छा नहीं जमाना ।।

सत शास्त्र  संत कहते, क्या कान आ रहा  है।।-.–.–.३

सत् मार्ग पर चलो तुम, न राह ये भटकना  ।
निर्बल के बन सहारा, न हाथ तुम झटकना  ।।
उस जन्म में किया जो, उसको भुना रहा है  ।।-.–.–.-४.

गीता पुरान को अब, आदर्श तुम बना लो ।
जो दीन दुखी आये, उनको गले लगा  लो  ।
वो ही है सबका मालिक, जो जग चला रहा है ।।-.–.–.-५

सबका हो हृदय मक्खन, कोशिश करो ये साथी ।
कितनी करो कमाई, कोई न साथ   जाती       ।।
शुभ भाव न बनाया, ये कुभाव  आ  रहा है  ।।-.–.–.–.–.६

बड़े बुजुर्ग जन की, सेवा  सभी को करना ।
आयु और विद्या बल यश की ही वृद्धि करना ।।
क्यों भेजा रहे इन को  वृद्धालय  जा रहा है ।…………..७

– झांसी उ. प्र.

Leave a Reply

Your email address will not be published.