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– सेवा सदन प्रसाद

 

देखा फलक की ओर मुहब्बत का रंग नजर आया

जमीं पे न जाने कैसे नफरत का रंग पसर आया।।

इंसान को कभी मंजूर नहीं ये जंग, ये जुल्म

गौर से देखा तो यह सियासी चाल नजर आया ।।

चौराहा और नुक्कड़ भी बना जंगे- मैदान

तमाशबीन बने सब के सब नामर्द नजर आया ।।

गांधी जी ने तो कहा था बहुत पते की बात

पर पूरा मजमा तीन बंदर नजर आया ।।

पढ़कर जाना है पूरी दुनिया का इतिहास

प्यार करने वाला ही सदा बदहाल नजर आया।।

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